Friday, 24 February 2012

यादें

"Dedicated to my best buddies"

"ख्वाहिश तो  थी  की  थामलूं  वक़्त  को,
ये  लम्हे  मुझे  इस  कद्र  अज़ीज़  हैं .
यूँ  ठहर  जाना  फितरत  में  नहीं  वक़्त की ,
गुज़रे  कल  की  यादों  का  लुत्फ़  कुछ  और  है .

देखूँगा जो  मुड  कर अपने  कल  में  कभी,
देखूँगा  तुम्हे  मुस्कुराते  हुए , बेवजह  रूठते  झगरते  मुझसे ,
और  फिर  यूँही  , मनाते हुए .

फिर  मुस्कुरा  उठेंगे लब तुम  को  यादों  में  पाके  ,
शायद  नम  हो  पलकें  तुम  से  दूर  जाके

सुनुगा  तुम्हारी  हँसी  को  गुनगुनाते  हुए,
मुस्कुराउगा  संग  तुम्हारे किसी  अफसाने  में.
फिर मिलूँगा तुम से यादों  के आशेयाने  में.

कई  किस्से  कई  फ़साने  होंगे  फिर  से  जवां,
तुमसे  झिलमिल  हो  उठेगा  यादों  का  समा.

जो  रोक  लूँगा वक़्त  को, ये  यादों  का  जहाँ   बसाउगा कैसे,
कैसे  करूंगा याद  तुम्हे , और याद तुम को आऊंगा कैसे ."

-अंकुर

I love you All