Friday, 13 January 2012

प्लेसमेंट वंदना


हाथ  जोड़  कर  स्तुती  करता  मै बालक  नादाँ  प्रभु ,
एक  संस्था  ऐसी  भेझो  जिस  में  मै  कुछ  काम  करू.

साथ  पुस्तकों  के   तो  मैंने  वर्ष  कई  गुज़र  दिए ,
खोज  ज्ञान  की  करने  में  रात  और  दिन  निकाल  दिए .

इतिहास   के  पन्नो   को , और   भूगोल  को  भी  माप  लिया ,
विज्ञान  का  लेके  सहारा  आणु  को  भी  नाप  लिया .

भिन्न  भिन्न  संस्कृतियों  की  परम्पराएँ  देख  ली,
हेरा  फेरी  की  परिभाषा , समेत  उदाहरण  सीख  ली .

परीक्षा  में  नय्य  मेरी  किसी  जतन  से  पार  लगी ,
याद  तुम्ही   को  कर  कर  के  प्रभु  इम्तहान  की  हर  रात  कटी .

एक  कृपा  प्रभु  और  कर  के, हमारा  कुछ  कल्याण  करें,
एक  संस्था  इसे  भेजें  जिस  में  हम  कुछ  काम  करें .

-अंकुर 

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